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मणिपुर फर्जी मुठभेड़ मामले की सुनवाई कौन सी बेंच करे, इस पर फैसला सुरक्षित

来源:घोड़े का सेक्सी वीडियो编辑:मुलायम सिंह यादव时间:2023-10-02 06:27:16
मणिपुर फर्जी मुठभेड़ मामले में शुक्रवार को में सुनवाई हुई. केंद्र की तरफ से के के वेणुगोपाल और मणिपुर पुलिस की ओर से मुकुल रोहतगी ने अपना पक्ष रखा. अटॉर्नी जनरल ने सेना और मणिपुर पुलिस की याचिका का समर्थन करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से जांच का आदेश सैन्य बलों की नैतिकता गिराने वाला है क्योंकि सेना वहां बेहद कठिन हालात में काम कर रही है.Supreme Court today reserved the order on pleas filed by former and serving army officers seeking a direction for the recusal of Justice Madan Bhimrao Lokur and Justice Uday Umesh Lalit from hearing the Manipur fake encounter cases.अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट की उस टिप्पणी पर भी ऐतराज जताया जिसमें जस्टिस लोकुर और जस्टिस ललित की बेंच ने कहा था कि जिन लोगों ने कत्ल किया है,मणिपुरफर्जीमुठभेड़मामलेकीसुनवाईकौनसीबेंचकरेइसपरफैसलासुरक्षित वो खुलेआम घुम रहे हैं. पुलिस की तरफ से पेश वकील ने कहा कि इस मामले को जस्टिस लोकुर और जस्टिस ललित की बेंच को नहीं सुनना चाहिए. इस बात पर जस्टिस ललित ने कहा कि जो टिप्पणी की गई थी, वो किसी पुलिसवाले के खिलाफ नहीं थी. अगर आप चाहते हैं, तो हम आदेश जारी कर सकते हैं.इस मामले में केंद्र ने कहा कि सेना के जवान जीवन और मौत से लड़ रहे हैं. अगर कोर्ट की ये टिप्पणी है, तो उनका मोरल गिरता है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से कहा कि आप ये कहना चाहते हैं कि हम केस को मॉनिटर न करें. इसके जवाब में अटॉर्नी जनरल ने कहा कि इस मामले की सुनवाई किसी दूसरी बेंच में हो और सीबीआई स्वतंत्र हो कर जांच करे. उधर, मुकुल रोहतगी ने कहा कि ये कोर्ट का काम नहीं है कि वह आदेश दे कि किसे गिरफ्तार करना है. ये जांच एजेंसी का काम है.मणिपुर के पूर्व सैन्यकर्मियों ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर फर्जी मुठभेड़ मामले की सुनवाई जस्टिस लोकुर और जस्टिस ललित की बेंच न कराने का आग्रह किया है. याचिका में कहा गया है कि कोर्ट की ओर से आरोपियों को हत्यारा कहने से जवानों के अंदर भय और पक्षपात की भावना घर कर गई है. ये दोनों जज मणिपुर फर्जी मुठभेड़ मामले की जांच करेंगे या नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने इस पर शुक्रवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट मणिपुर में अतिरिक्त न्यायिक हत्याओं के 1,528 मामलों की जांच के लिए दायर की गई याचिका पर सुनवाई कर रहा है. कोर्ट ने पिछले साल 14 जुलाई को एक एसआईटी गठित की थी और एफआईआर दर्ज कराने और कथित अतिरिक्त न्यायिक हत्याओं के मामलों की जांच का आदेश दिया था. मणिपुर में वर्ष 2000 से 2012 के बीच सुरक्षाबलों और पुलिस पर कथित रूप से 1528 फ़र्ज़ी मुठभेड़ और अतिरिक्त न्यायिक हत्याओं का आरोप है.

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